बने पुजारी प्रेमी साकी,
गंगाजल पावन हाला,
रहे फेरता अवरित गति से
मधु के प्यालों की माला
'और लिए जा,और पिए जा'-
इसी मंतर का जाप करें
मै शिव की प्रतिमा बन बैठूं,
मन्दिर हो यह मधुशाला.
Saturday, August 23, 2008
Wednesday, August 20, 2008
Friday, August 8, 2008
रुबाई २
"मदिरालय जाने को घर से
चलता है पीनेवाला,
किस पथ से जाऊं?
असमंजस में है भोलाभाला,
अलग - अलग पथ बतलाते सब
पर मै यह बतलाता हूँ,
राह पकड़ तू इक चलता चल
पा जाएगा मधुशाला"
चलता है पीनेवाला,
किस पथ से जाऊं?
असमंजस में है भोलाभाला,
अलग - अलग पथ बतलाते सब
पर मै यह बतलाता हूँ,
राह पकड़ तू इक चलता चल
पा जाएगा मधुशाला"
Saturday, August 2, 2008
Friday, August 1, 2008
Thursday, July 31, 2008
मैखाना और वीराना
"दिल खुलता है वहां सोहबत ऐ रिन्दाना जहाँ हो
मै खुश हूँ उसी शहर से मैखाना जहाँ हो,
उन उजड़ी हुई बस्तियों में दिल लगता नही
है जी में वहीं जा बसे वीराना जहाँ हो."
Tuesday, July 29, 2008
शेर 1
"मै जी लेता तेरे गमो को, मगर मुझे पीने से फुर्सत नही
तू किए जा सितम दर सितम, मुझे पीने से फुर्सत नही"
तू किए जा सितम दर सितम, मुझे पीने से फुर्सत नही"
Monday, July 28, 2008
रुबाई 1
"सुन कल-कल छल-छल मधु घट से गिरती प्यालो में हाला
सुन रुनझुन-रुनझुन चल वितरण करती मधु साकी-बाला
बस आ पहुंचे, दूर नही कुछ, चार कदम अब चलना है
चहक रहे सुन पीने वाले, महक रही ले मधुशाला."
सुन रुनझुन-रुनझुन चल वितरण करती मधु साकी-बाला
बस आ पहुंचे, दूर नही कुछ, चार कदम अब चलना है
चहक रहे सुन पीने वाले, महक रही ले मधुशाला."
Subscribe to:
Posts (Atom)